गढ़वाली फिल्म ‘कलंक’ करती है समाज की रूढ़िवादी सोच और कुरूतियो पर गहरा प्रहार

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गढ़वाली फिल्म ‘कलंक’ करती है समाज की रूढ़िवादी सोच और कुरूतियो पर गहरा प्रहार

कहते है, की फिल्मे समाज का आइना होती है, जो समाज में घट रही चीजों को नाट्य रूपांतरण के ज़रिये लोगोप के सामने पेश करती है, साथ ही इतनी ताकत भी रखती है की वो समाज की रूढ़िवादी सोच को बदल सके। अगर बात करे अपने उत्तराखंड फिल्म जगत की तो यह भी उत्तराखंडी कलाकार फिल्मो के ज़रिये अपने अपने लेवल पर समाज की कुरीतियों को लोगो क समक्ष रखने की कोशिश करते रहते है। ऐसे ही एक गढ़वाली फिल्म ‘कलंक’ हाल ही में रिलीज़ हुए है, जिसे डायरेक्ट किया है अशोक चौहान ने। जो सूर्यांश प्रोडक्शन के बैनर तले रिलीज़ हुए है।

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विषय बहुत ही सेंसिटीव है और ऐसे बिषय पर फिल्म बनाना सच में बहुत ही क़ाबिले तारीफ़ है। इस फिल्म में अभिनय कर रहे है, प्रभाकर पंत, ,सतेंद्र रावत, अशोक चौहान, राजेश नौगाईं, शिवचरण, शिम्मा रावत, जस्सू भट्ट, कंचन रावत, योगिता गैरोला, चीनू गुसाईं, दुर्गा कपकोटी और मनोज रावत आदि कलाकार। सभी कलाकारों ने फिल्म में फिल्म की है विजयपाल कालूरा ने प्रियंका पंवार और वीरेंद्र पंवार की आवाज़ में भी कई गीत आपको इस फिल्म में सुनने को मिलेंगे।सिनेमेटोग्राफी का जिम्मा इसमें संभाला है सुधीर सावन ने। फिल्म ‘कलंक’ लेकर लोगों में दो मत हो सकते हैं,एक तरफ़ वो लोग होंगे जो जातिवाद को बढ़ावा देते हैं ,और दूसरी तरफ़ वो लोग होंगे जो जातिवाद से उपर उठ कर समाज को एक नयी दिशा देना चाहते हैं। फिल्म को लेकर दर्शको से फ़िलहाल अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। समाज में बढ़ती कुरीतिया और जातिवाद में बंटा हमारे इस समाज को गढ़वाली फिल्म ‘ एक आइना दिखाती है और साथ ही सबको प्रेणा देती है।

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